रविवार, 1 अगस्त 2010
Meri Kvitaai
सबको खुश करने के चक्कर मे जाने क्या - क्या दर्द सहे कहने को तो कह सकते थे , लेकिन हम खामोश रहे ख़ामोशी वो क्या समझेंगे जो जलशो के भूखे है , आंसू तो पवित्र है सभीके होठ सभी झूठे है इस पर भी न जाने क्यों ,लोग हामी से रूठे है ................
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