शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

सांप्रदायिक-फासीवादी-पुरातनपंथी चिटठा: हो न्याय अगर तो आधा दो ,और उसमे भी यदि बाधा हो

अंकित जी आपने अपनी बातो को बहुत अच्छे से बहुत ही विस्तारपूर्वक बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है फिर भी बहुत से ऐसे लोग है जिनके दिमाग में अच्छी बातो के लिए कोई भी स्थान नहीं है वैसे एक बात बताऊ आज मुस्लिमो से ज्यादा खतरा तथाकथित दोगुले हिन्दू से है जो हिन्दू होते हुए भी मुस्लिमो के पक्छधर है मुस्लिमो को बढ़ावा देने वाले भी हमारे तथाकथित हिन्दू नेता है जिन्होंने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए हमेशा हिन्दुयो का विरोध और मुस्लिमो का पक्छ लेकर ये बताने की कोशिश की है की वे कितने सेकुलर सोच वाले है आज मुस्लिम होने का फायदा उठाकर हमारे छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ में 5 -5 मुस्लिमो को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है (1) हज कमेटी (2) उर्दू अकादमी (3) मदरसा बोर्ड (4) वक्क्फ़ बोर्ड (5) अल्फ्संख्यक आयोग ! और मेरे ख्याल से अमूमन यह स्थिति पुरे देश में होगी ! हज हाउस के लिए हमारे राज्य में आन्दोलन किये जा रहे है! कम से कम 17 - 18 स्थानों पर किसी भी व्यक्ति को बाबा बनाकर उसकी मजार बना दी गयी है! और तो और उन सभी मजारो में उर्स के नाम पर प्रत्येक हिन्दू त्योहारों के समय उर्स का आयोजन किया जाता है! एक व्यक्ति के निजी जमीं पर एक व्यक्ति को दफनाकर उसे बाबा का नाम देकर उसकी जमीन को कब्ज़ा कर लिया गया और जब उस व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट ने उसके पक्छ में फैसला दिया तो पूरा का पूरा मुस्लिम समुदाय उसके विरोध में खड़ा हो गया! सत्ता में बैठे चन्द लोगो ने उसे सह दिया और आज न्यायालय के निर्णय के बावजूद भी वह जमीन मुस्लिमो के पास है ! 400 साल पुराने हिन्दू मंदिर को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कहकर तोड़ दिया गया! अकेले रायपुर शहर में लगभग 42 मंदिरों को कलेक्टर के निर्देश पर तोडा गया और एक भी अवैध मस्जिद और मजार को छुवा भी नहीं गया! मंत्रालय के गेट के ठीक अन्दर रायपुर में वीआईपी गेट के अन्दर बने मजार को प्रशासन ने कभी भी हटाने के बारे में विचार भी नहीं किया! आज होली जैसे त्योहारों में मिडिया छापती है की पेड़ो की बलि दी जा रही है पानी की बर्बादी की जा रही है इस बार सुखी होली मनाये !........ दिवाली के समय फटाखो को लेकर ध्वनी प्रदूषण के बारे में अखबारों और समाचारों में लिखा जाता है और तो और प्रशासन ये तय करता है की कितने समय तक फटाखे फोड़े !............... हमारे हिंदुस्तान में पशु बलि पर रोक है परन्तु बकरीद के दिन हर घर में बकरे की बलि दी जाती है तब ये मिडिया यह क्यों नहीं लिखता की आज इतने लाख पशुओ को कटा जायेगा और तो और जहा बकरे बिकते है उस स्थान पर प्रशासन साफ सफाई और लाइट की व्यवस्था करके देता है! छत्तीसगढ़ में एक विधायक ने नवरात्र के पहले दिन बकरे की बलि दी क्योकि उस मंदिर और उस स्थान पर निवास करने वाले लोग सैकड़ो साल से उस प्रथा का पालन करते आ रहे है परन्तु उस घटना को मिडिया ने खूब उछाला कानून का उल्लघन कहा....... क्यों क्या पशु बलि प्रथा पर रोक के विषय में यही लिखा है की मुसलमान बलि दे सकते है हिन्दू नहीं! मेरा यही कहना है की हिंदुस्तान में आजादी के बाद से ही सौतेले बेटे (मुसलमान) को खूब प्यार दिया गया! और हिन्दू बेटे को यह कहकर की ये कहा जायेगा ये तो अपना है हमेसा उसे दुत्कारा गया परिणाम स्वरूप सौतेला तो अपना नहीं हो सका परन्तु अपना जो था उसे राजनेताओ ने दुत्कारना नहीं छोड़ा!क्यों मिडिया ये नहीं छापती की चार चार शादिया गलत है...... बुरका प्रथा गलत है........... फोन पर लिख कर या तीन बार तलाक तलाक कहने वैवाहिक सम्बन्ध विच्छेद करना गलत है......... मेहर प्रथा गलत है........ खतना करना गलत है............. नसबंदी करवाना या कंडोम का उपयोग न करना इस्लाम के खिलाफ है कहना गलत है......... एक देश में दो-दो कानून हिन्दू ला और मुस्लिम ला का होना गलत है ! सोचनीय विषय है ! सांप्रदायिक-फासीवादी-पुरातनपंथी चिटठा: हो न्याय अगर तो आधा दो ,और उसमे भी यदि बाधा हो

सांप्रदायिक-फासीवादी-पुरातनपंथी चिटठा: हो न्याय अगर तो आधा दो ,और उसमे भी यदि बाधा हो

अंकित जी आपने अपनी बातो को बहुत अच्छे से बहुत ही विस्तारपूर्वक बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है फिर भी बहुत से ऐसे लोग है जिनके दिमाग में अच्छी बातो के लिए कोई भी स्थान नहीं है वैसे एक बात बताऊ आज मुस्लिमो से ज्यादा खतरा तथाकथित दोगुले हिन्दू से है जो हिन्दू होते हुए भी मुस्लिमो के पक्छधर है मुस्लिमो को बढ़ावा देने वाले भी हमारे तथाकथित हिन्दू नेता है जिन्होंने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए हमेशा हिन्दुयो का विरोध और मुस्लिमो का पक्छ लेकर ये बताने की कोशिश की है की वे कितने सेकुलर सोच वाले है आज मुस्लिम होने का फायदा उठाकर हमारे छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ में 5 -5 मुस्लिमो को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है (1) हज कमेटी (2) उर्दू अकादमी (3) मदरसा बोर्ड (4) वक्क्फ़ बोर्ड (5) अल्फ्संख्यक आयोग ! और मेरे ख्याल से अमूमन यह स्थिति पुरे देश में होगी ! हज हाउस के लिए हमारे राज्य में आन्दोलन किये जा रहे है! कम से कम 17 - 18 स्थानों पर किसी भी व्यक्ति को बाबा बनाकर उसकी मजार बना दी गयी है! और तो और उन सभी मजारो में उर्स के नाम पर प्रत्येक हिन्दू त्योहारों के समय उर्स का आयोजन किया जाता है! एक व्यक्ति के निजी जमीं पर एक व्यक्ति को दफनाकर उसे बाबा का नाम देकर उसकी जमीन को कब्ज़ा कर लिया गया और जब उस व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट ने उसके पक्छ में फैसला दिया तो पूरा का पूरा मुस्लिम समुदाय उसके विरोध में खड़ा हो गया! सत्ता में बैठे चन्द लोगो ने उसे सह दिया और आज न्यायालय के निर्णय के बावजूद भी वह जमीन मुस्लिमो के पास है ! 400 साल पुराने हिन्दू मंदिर को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कहकर तोड़ दिया गया! अकेले रायपुर शहर में लगभग 42 मंदिरों को कलेक्टर के निर्देश पर तोडा गया और एक भी अवैध मस्जिद और मजार को छुवा भी नहीं गया! मंत्रालय के गेट के ठीक अन्दर रायपुर में वीआईपी गेट के अन्दर बने मजार को प्रशासन ने कभी भी हटाने के बारे में विचार भी नहीं किया! आज होली जैसे त्योहारों में मिडिया छापती है की पेड़ो की बलि दी जा रही है पानी की बर्बादी की जा रही है इस बार सुखी होली मनाये !........ दिवाली के समय फटाखो को लेकर ध्वनी प्रदूषण के बारे में अखबारों और समाचारों में लिखा जाता है और तो और प्रशासन ये तय करता है की कितने समय तक फटाखे फोड़े !............... हमारे हिंदुस्तान में पशु बलि पर रोक है परन्तु बकरीद के दिन हर घर में बकरे की बलि दी जाती है तब ये मिडिया यह क्यों नहीं लिखता की आज इतने लाख पशुओ को कटा जायेगा और तो और जहा बकरे बिकते है उस स्थान पर प्रशासन साफ सफाई और लाइट की व्यवस्था करके देता है! छत्तीसगढ़ में एक विधायक ने नवरात्र के पहले दिन बकरे की बलि दी क्योकि उस मंदिर और उस स्थान पर निवास करने वाले लोग सैकड़ो साल से उस प्रथा का पालन करते आ रहे है परन्तु उस घटना को मिडिया ने खूब उछाला कानून का उल्लघन कहा....... क्यों क्या पशु बलि प्रथा पर रोक के विषय में यही लिखा है की मुसलमान बलि दे सकते है हिन्दू नहीं! मेरा यही कहना है की हिंदुस्तान में आजादी के बाद से ही सौतेले बेटे (मुसलमान) को खूब प्यार दिया गया! और हिन्दू बेटे को यह कहकर की ये कहा जायेगा ये तो अपना है हमेसा उसे दुत्कारा गया परिणाम स्वरूप सौतेला तो अपना नहीं हो सका परन्तु अपना जो था उसे राजनेताओ ने दुत्कारना नहीं छोड़ा!क्यों मिडिया ये नहीं छापती की चार चार शादिया गलत है...... बुरका प्रथा गलत है........... फोन पर लिख कर या तीन बार तलाक तलाक कहने वैवाहिक सम्बन्ध विच्छेद करना गलत है......... मेहर प्रथा गलत है........ खतना करना गलत है............. नसबंदी करवाना या कंडोम का उपयोग न करना इस्लाम के खिलाफ है कहना गलत है......... एक देश में दो-दो कानून हिन्दू ला और मुस्लिम ला का होना गलत है ! सोचनीय विषय है ! सांप्रदायिक-फासीवादी-पुरातनपंथी चिटठा: हो न्याय अगर तो आधा दो ,और उसमे भी यदि बाधा हो

मंगलवार, 10 अगस्त 2010

RAIPUR TUDAY

रायपुर में १२ अगस्त को क़ुइएन्स बैटन रैली निकलने वाली है पुरे शहर मे जबर्दस्त उत्साह है शहर की जनता पलक फावड़े बिझाये बैठी है परन्तु एक और जहा हम १५ अगस्त को स्वंत्रता दिवस मनाएंगे वही दूसरी और १२ अगस्त को गुलामी का प्रतीक इंग्लैंड की महारानी क़ुईन एलिजाबेथ के सन्देश लिखी बैटन हम इस लिए लेकर  दोडेंगे की आज भी हम ब्रिटेन की महारानी के अधीन है, कामनवेल्थ खेल वास्तव मे पहले जब हम गुलाम थे उस समय महारानी को खुश करने के लिए इंग्लैंड के अधीन जितने भी राष्ट्र थे उन सभी के बिच खेल हुवा करते थे लेकिन आज हम आजाद है फिर महारानी के अधीन ऐसे खेलो के आयोजन का क्या ओचित्य है

रविवार, 1 अगस्त 2010

Meri Kvitaai

सबको खुश करने के चक्कर मे जाने क्या - क्या दर्द सहे                                                                                                 कहने को तो कह सकते थे , लेकिन हम खामोश रहे                                                                                                       ख़ामोशी वो क्या समझेंगे जो जलशो के भूखे है ,                                                                                                           आंसू तो पवित्र है सभीके होठ सभी झूठे है                                                                                                                    इस पर भी न जाने क्यों ,लोग हामी से रूठे है ................